कन्नौज, उत्तर प्रदेश – भारत की ऐतिहासिक इत्र नगरी कन्नौज ने एक बार फिर अपनी पारंपरिक सुगंध से दुनिया को मंत्रमुग्ध कर दिया है। हाल ही में पेरिस में आयोजित प्रतिष्ठित International French Travel Market (IFTM) 2025** में कन्नौज के प्राकृतिक इत्र और उसकी पारंपरिक ‘दग-भपका’ तकनीक को अंतरराष्ट्रीय मंच पर पेश किया गया। यह प्रस्तुति विदेशी पर्यटकों और उद्योग विशेषज्ञों के बीच काफी सराही गई, जिससे भारत की सुगंध विरासत को नई पहचान मिली।
सदियों पुरानी खुशबू, आज भी ताज़ा
कन्नौज में इत्र निर्माण की परंपरा करीब एक हजार साल पुरानी है। यहां की पारंपरिक दग-भपका विधि में तांबे के बर्तनों और मिट्टी के भांडों का उपयोग करके फूलों, जड़ी-बूटियों और प्राकृतिक तत्वों से सुगंध निकाली जाती है। इस प्रक्रिया में किसी भी प्रकार के केमिकल या एल्कोहल का प्रयोग नहीं होता, जिससे यह इत्र पूरी तरह प्राकृतिक और त्वचा के अनुकूल होता है।
इत्र पर्यटन की नई शुरुआत
पेरिस में हुए इस अंतरराष्ट्रीय इवेंट के बाद भारत सरकार और राज्य पर्यटन विभाग कन्नौज को “इत्र पर्यटन” के एक नए केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं। यहां आने वाले पर्यटक इत्र बनाने की प्रक्रिया को करीब से देख सकते हैं, कारीगरों से मिल सकते हैं और स्थानीय संग्रहालयों में इत्र की ऐतिहासिक यात्रा को जान सकते हैं। इसके साथ ही, वे पारंपरिक कन्नौजी इत्र की शीशियाँ सीधे स्थानीय कारीगरों से खरीद भी सकते हैं।
भारत की खुशबू अब वैश्विक मंच पर
इस वैश्विक प्रस्तुति ने न केवल कन्नौज को पर्यटन मानचित्र पर उभारा है, बल्कि भारत की पारंपरिक कलाओं और स्थानीय कारीगरों को भी नई पहचान दी है। इससे यह उम्मीद बढ़ी है कि आने वाले वर्षों में कन्नौज केवल इत्र के लिए नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक अनुभव के रूप में भी पर्यटकों के बीच लोकप्रिय होगा।